इंदौर। जिला कोर्ट में विधायक विजयवर्गीय के जमानत आवेदन पर करीब पौन घंटे बहस चली। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत आवेदन खारिज करते हुए विजयवर्गीय को 11 जुलाई तक जेल भेज दिया। प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा जमानत आवेदन खारिज करने के बाद विजयवर्गीय ने बुधवार शाम ही सेशन कोर्ट में जमानत आवेदन प्रस्तुत कर दिया। इस पर गुरुवार को सुनवाई होगी। जानकारी के मुताबिक अगर विधायक आकाश को जमानत मिलती है तो समर्थकों द्वारा जेल से रैली निकालकर उन्हें घर तक ले जाने की योजना है।
यह कहकर जिला कोर्ट ने रद्द की थी जमानत याचिका
बुधवार को कोर्ट ने कहा कि विजयवर्गीय विधायक हैं। उन पर विधि निर्माण करने का दायित्व है। वे ही इस तरह कानून का उल्लंघन करेंगे तो आमजन पर निश्चित ही विपरीत असर पड़ेगा। विजयवर्गीय प्रभावशाली व्यक्ति हैं। उनके द्वारा साक्षियों को डराने-धमकाने व प्रभावित करने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
विजयवर्गीय को गिरफ्तार कर पुलिस भारी सुरक्षा के बीच शाम करीब सवा चार बजे जिला कोर्ट के रूम नंबर 39 पहुंची। न्यायाधीश डॉ. गौरव गर्ग की कोर्ट में विजयवर्गीय की तरफ से पूर्व उपमहाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने जमानत आवेदन प्रस्तुत करते हुए विजयवर्गीय को जमानत पर रिहा करने की मांग की।
उन्होंने तर्क रखा कि एक विधायक पदेन पार्षद होता है। उसे निगम अधिकारी से यह पूछने का अधिकार है कि किस नियम के तहत और किसके आदेश से कार्रवाई की जा रही है। जनता के प्रतिनिधियों को घर से बाहर निकालने की कोशिश हो तो उन्हें अपनी सुरक्षा का पूरा अधिकार है। पुलिस ने दबाव और प्रभाव में आकर विजयवर्गीय के खिलाफ कार्रवाई की है। उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए।
सुरक्षित रख लिया था फैसला, शाम को जारी किया
निगम अधिकारी धीरेंद्र बायस की तरफ से एडवोकेट विवेक नागर ने जमानत पर आपत्ति ली। उन्होंने कहा कि विधायक चुना हुआ जनप्रतिनिधि होता है। वह सड़क पर उतरकर इस तरह अधिकारियों से मारपीट करे, यह उनके पद के अनुरूप नहीं है।
उन्होंने मारपीट के फुटेज की सीडी भी कोर्ट में पेश की। करीब पौन घंटा बहस सुनने के बाद कोर्ट ने केस से जुड़े लोगों को छोड़कर अन्य लोगों को बाहर जाने का आदेश देते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया, जो शाम करीब सवा सात बजे जारी किया। पुलिस तुरंत विजयवर्गीय को दूसरे गेट से लेकर रवाना हो गई।
उन्हें मेडिकल के लिए एमवाय अस्पताल ले जाया गया। कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि समाज में इस तरह के अपराध बढ़ते जा रहे हैं। इन्हें रोकना जरूरी है। अन्यथा लोगों का कानून और न्याय व्यवस्था से विश्वास ही उठ जाएगा।
भारी संख्या में जमा हुए समर्थक
विजयवर्गीय को कोर्ट में पेश करने की खबर लगते ही उनके समर्थक बड़ी संख्या में कोर्ट परिसर में जमा हो गए। हालात बिगड़ते देख जिला कोर्ट परिसर में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। शाम करीब पांच बजे जिला कोर्ट के दोनों गेट बंद कर दिए गए।
समर्थकों के साथ विधायक रमेश मेंदोला, भाजपा उपाध्यक्ष जीतू जिराती, गोलू शुक्ला सहित कई नेता मौजूद थे। हालांकि संगठन ने घटना से खुद को पूरी तरह से अलग रखा। भाजपा नगराध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा सहित संगठन का कोई नेता जिला कोर्ट में नजर नहीं आया। शाम करीब साढ़े छह बजे विधायक मेंदोला ने कार्यकर्ताओं को कोर्ट परिसर से बाहर जाने को कहा, बावजूद इसके कार्यकर्ता परिसर में जुटे रहे।
नारेबाजी के साथ हुई पत्थरबाजी
पुलिस जैसे ही विजयवर्गीय को दूसरे गेट से जेल ले जाने लगी, कोर्ट परिसर में मौजूद कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी। कुछ कार्यकर्ताओं ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया। पुलिस ने एक कार्यकर्ता को हिरासत में ले लिया।