मुरैना। राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य के राजघाट घाट पर साल के 8 महीने चंबल सफारी बोट क्लब का संचालन होता है। बारिश के चार महीने के लिए इस बोट क्लब को बंद कर दिया जाता है। इस बार भी 15 जून से यह बोट क्लब बंद है। बोट क्लब के बंद होते ही यहां मौजूद रेत के सफाए के लिए माफिया नदी में उतर चुका है। यहां हर रोज डेढ़ सैकड़ा ट्रैक्टर-ट्रॉली रेत खनन के लिए आ रही हैं। इस घाट से रेत लगभग साफ कर दी गई है। हाइवे के एकदम किनारे हो रहे इस खनन को चंबल नदी के पुल से कोई भी आसानी से देख सकता है, लेकिन वन विभाग को यह खनन नहीं दिख रहा है।
नदी के ऊंचे हिस्से पर रेत कर रहा डंप
राजघाट पुल से साफ दिखाई दे रहा है कि माफिया रेत को घाट से उठाकर वहां एकत्रित कर रहा है, जहां चंबल पुल की निर्माण कंपनी ने अपना स्टोर बनाया था। अब यह जमीन खाली पड़ी है। इसलिए माफिया इस जगह पर रेत डंप कर रहा है। माफिया का उद्देश्य बस इस सारे रेत को बारिश से पहले नदी के निचले हिस्से से ऊंचे हिस्सों तक ले जाना है, जहां नदी का पानी नहीं पहुंच सकता। ताकि बारिश होने पर भी यहां डंप रेत आसानी से उठाकर दूसरी जगह ले जाया जा सके और बेचा जा सके।
डीएफओ बंगले और नाके तक सीमित अमला
खनन माफिया पर कार्रवाई करने के लिए चंबल नदी जाने की बजाय वन अमला एसएएफ सहित सिर्फ वन नाके तक ही सीमित है। वन सूत्रों के मुताबिक डीएफओ बंगले के तिराहे पर भी अमला सुबह 7 बजे तक मौजूद रहता है। सूत्रों के मुताबिक अमला यहां 5 बजे तैनात होता है। क्योंकि इस समय डीएफओ व्यायामशाला जाते हैं और 7 बजे तक वापस आते हैं। इस दौरान अमला यह सुनिश्चित करता है कि डीएफओ को आते-जाते समय माफिया के वाहन यहां दिखाई न दें। इस मामले में बात करने के लिए डीएफओ पीडी गेब्रियल को उनके शासकीय सीयूजी नंबर पर फोन किया गया, लेकिन नंबर नहीं लगा।